Hisar e Ana chapter 10 part 1: The Siege of Ego by Elif Rose

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Hisar e Ana chapter 10

Hisar e Ana chapter 10

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उस वाकये का राहेमीन ने गहरा असर लिया था।
सबीहा और इलयास के लाख समझाने के बावजूद वह रातभर रोती रही।
सोने पर सुहागा, उसकी दोस्तों (जो पार्टी में आई थीं) ने भी उसका खूब मज़ाक उड़ाया था।
वह अपने खोल में बंद हो कर रह गई।
घर पर भी ख़ामोश रहती।
इलयास मीर से भी उसके रिश्ते में एक अनदेखी दीवार सी आ गई। वह समझ गई थी कि असफन्द के बुरे रवैये की ख़ास वजह इलयास की उस पर तवज्जाह देना है।
इसीलिए उसने ना महसूस अंदाज़ में उनसे दूरी बना ली।

Hisar e Ana chapter 10

रहा असफन्द, तो वह उससे सामना होने से भी बचने लगी।
सबीहा ने भी सख़्ती से उसे असफन्द से बात करने को मना कर दिया था। वह अच्छी खासी बद गुमान हों गई थीं उससे।
इलयास मीर ने उन दोनों से असफन्द की हरकत की माफ़ी मांगी थी लेकिन अब बहुत हो चुका था। वह तंग आ गईं थीं रोज़ रोज़ की मुसीबत से।
उधर असफन्द था कि जिसके दिल की हालत दिन बा दिन बदलती जा रही थी, लेकिन इस कैफियत को वह अब भी नहीं समझ पा रहा था।
एक तरफ इलयास मीर उसे ख़ामोशी की मार.. मार रहे थे।
सबीहा तो बहुत पहले से ही उससे लाताल्लुक़ रहने लगीं थीं लेकिन अब राहेमीन भी उससे बदज़न हो गई थी।

वह पहले की तरह उसके साथ खेलने की कोशिश, उसके क्राफ़्ट को छिप कर देखना बंद कर दिया था। उसकी कैटी तो क्या वह अब उसकी तरफ़ भी देखना गवारा नहीं करती थी। यही बात उससे बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
उसका सुकून बर्बाद हो गया था।
खेल, पढ़ाई, क्राफ़्ट या ब्लॉक्स किसी भी चीज़ में मन नहीं लग रहा था।

हां, 17 असफन्द मीर को राहेमीन की बेरूख़ी ने बौखला कर रख दिया था।
वह अपने अंदर पनपते जज़बे को तो नहीं समझ पाया था।
लेकिन यह ज़रूर जान गया था कि राहेमीन रियाज़ उसके लिए बहुत अहम हो गई थी।
और यह मानने की ही देर थी कि उसकी ‘अना’ भी कहीं दुबक कर बैठ गई।
उसे वाक़ई अपनी गलती का एहसास हुआ।
अब मसला यह था कि अपनी गलती की तलाफी कैसे करे?
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