Novel Hisar e Ana chapter 21 part 3 by Elif Rose hindi novel stories

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“ओके, अगर मेरा वजूद आपसे बर्दाश्त नहीं तो मैं कॉटेज में शिफ्ट हो जाता हूं लेकिन प्लीज़ अपना घर मत छोड़िए। डैड को सज़ा मत दीजिए।”
“इतनी फ़िक्र है उनकी तो वह करो ना जो फुफ्फो कह रही हैं।” वहाज ने पीछे से अपनी ठोड़ी खुजाते हुए आग में घी डाला।
असफन्द ने नागवारी से मुट्ठियां भींची।
यह शख्स उसे ज़हर लगता था।
नज़रें अभी भी खुद को गुस्से से देखती सबीहा मीर पर थीं।
“घर के मामलात घर में ही मिल बैठ कर हल करने चाहिए। वरना बाहरी लोगों को हाथ सेंकने का मौका मिल जाता है।”

सबीहा मीर सर्द सा मुस्कुराईं और दो क़दम आगे आयीं।
“मेरे लिए वहाज गैर नहीं है। तुम से बढ़ कर है वह।”
और वहाज ने एक जताती नज़र असफन्द के चहरे पर डाली जो दुख और मलाल कि मिली जुली कैफियत से उन्हें देख रहा था।
“एक बार…. महज़ एक बार हमारे बीच जितने भी इख्तेलाफात हैं, उन्हें किनारे रख कर सोचिए कि इन सब में राहेमीन का क्या कुसूर है?
आपके इस क़दम का उस पर क्या असर पड़ेगा? शादी कोई गुड्डे गुड़ियों का खेल तो नहीं है जो जब चाहा तोड़ दी जाए। क्या वह यह सब सह… एक मिनट।” उसने रुक कर हैरत से चारों तरफ निगाह दौड़ाई।
“राहेमीन कहां है?”

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घर के सब लोग कमरे से निकल कर बाहर आ चुके थे, सिवाए राहेमीन के।
असफन्द के माथे पर फिक्र की लकीरें उभरी।
“कहां है वह?”
लेकिन सबीहा ने कोई जवाब नहीं दिया।
वह वैसे ही उसे चुभती नज़र से देखती खड़ी रहीं।
असफन्द को कुछ खटका।
“राहेमीन!” उसने तेज़ आवाज़ में पुकारा।
बेड पर पहले वाली ही पोज़ीशन में बैठी राहेमीन बुत बनी अपने सामने बंद दरवाज़े को तक रही थी। लब जामिद थे।
असफन्द की फिक्रमंद सी पुकार बार बार दरवाज़ा बंद होने के बावजूद यहां सुनाई दे रही थी।
तभी बेड पर उसके दुपट्टे के पास पड़ा मोबाइल बजने लगा। सांस रोके उसने स्क्रीन देखी।
ग्राउंड फ्लोर पर मौजूद असफन्द उसे कॉल कर रहा था।
बार बार बजने वाली बेल वह ज़्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाई तो मोबाइल स्विच ऑफ किया और उठ कर खिड़की के पास आ गई।
उसे घुटन महसूस हो रही थी।

नीचे असफन्द दंग सा मोबाइल कान से लगाए खड़ा रह गया।
Switch off????
बेयकीनी से उसने स्क्रीन देखी।
दिल पर जैसे कारी ज़र्ब लगी थी।
वह सबीहा की तरफ मुड़ा।
“अपने क्या कहा है उसे?” मशकूक नज़रें उन पर जमाए वह अपना ज़ब्त खो देने को था।
अगर चाहता तो खुद इस घर के कमरे कमरे में राहेमीन को तलाश कर सकता था। लेकिन यह मैनर के खिलाफ था। ऐसा गैर इख्लाकी काम वह हरगिज़ नहीं करना चाहता था।
“खुशफह्मी से निकलो असफन्द मीर…” सबीहा ने उसकी बात काटी। “कहा तो उसने है मुझसे,……यह कि वह तुमसे नफ़रत करती है। इतनी की तुम्हारी शक्ल भी नहीं देखना चाहती।”

“आपको लगता है मैं यकीन लूंगा?” उसकी आवाज़ एकबार्गी ना चाहते हुए भी तेज़ हुई। “आपसे बेहतर जानता हूं मैं उसे। वह मुझे नापसंद कर सकती है, बदगुमान हो सकती है मुझसे, बेऐतबर हो सकती है लेकिन नफ़रत?” दाएं बाएं ‘नहीं’ में सर हिलाया। “यह एक जज़्बा है जो वह कभी मेरे लिए महसूस नहीं कर सकती।”
वह इतने यकीन से बोल रहा था कि सबीहा मीर का चेहरा गुस्से से सुर्ख पड़ा।
“दफा हो जाओ यहां से।”
वह इस लड़के को और ज़्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकतीं थीं।
अपने अंदर उठते उबाल को काबू करते असफन्द मीर ने समझते हुए सर हिलाया। “ओके! जा रहा हूं मैं। लेकिन याद रखिएगा, यह सब करके अगर आप इस खुशफहमी में हैं कि मैं थक हार के बैठ जाऊंगा, तो भूल है आपकी।” कहते हुए वह मुड़ा और एक सुलगती नज़र वहाज पर डाल कर वहां से निकल गया।
सबीहा मीर मुट्ठियां भींचे वहीं खड़ी रहीं।

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बाहर निकलते ही वह दोनों हाथ कमर पर रखे खड़ा हुआ और गहरी गहरी सांस लेकर खुद को कंट्रोल करने की कोशिश की।
अंधेरी सड़क पर खड़ी अपनी कार पर नज़र टिकाए वह शदीद इश्तिआल के ज़ेर ए असर था।
सबीहा मीर से ज़्यादा गुस्सा उसे उस लड़की पर था। जिसे पाने के लिए वह हर हद पार करने को तैयार था और वह?
अपनी ज़ात पर ऐसा खोल चढ़ाए बैठी थी कि उसे उसकी मोहब्बत, उसका जुनून, दीवानगी कुछ भी नज़र नहीं आ रहा था?
क्या थी यह लड़की?
दिल चाहा जा कर उसे झिंझोड़ कर पूछे कि दिल नामी कोई चीज़ है भी तुम्हारे अंदर या नहीं?

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“च च च!…. बहुत अफ़सोस हो रहा मुझे तुम्हारे लिए।”
आवाज़ पर उसने पीछे मुड़ कर देखा।
वहाज चहरे पर तंज़िया मुस्कुराहट सजाए उसके पीछे खड़ा था।
असफन्द ने अपने तास्सुरात नॉर्मल किए।
“तुम्हें अफ़सोस करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि यह सब ज़्यादा दिन नहीं चलने वाला।” वह अब भी पुर उम्मीद था।
वहाज की मुस्कुराहट सिमटी। आंखों में चिंगारी सी आई।
“क्या तुम्हें नज़र नहीं आता। वक़्त तुम्हारे हाथ से निकल चुका है।”
अबकि असफन्द हंसा।
“किस दुनिया में हो? वक़्त अभी भी मेरे फेवर में है क्यूंकि” दो क़दम आगे आ कर उस पर जताती नज़र डाली। “राहेमीन रियाज़ इस वक़्त मेरे निकाह में है।”

आगे का भाग पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करिए।
Hisar e ana chapter 22 part 1
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Hisar e ana chapter 1

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