Novel Hisar e Ana chapter 20 part 4 by Elif Rose

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hindi romantic novel

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“Congratulations Sir, मिस्टर सचिन वर्मा के साथ हमारी डील फाइनल हो गई।”
ऑफिस के केबिन में बैठे असफन्द मीर को दिन भर में यह पहली अच्छी खबर सुनने को मिली थी।
वह उदासी से मुस्कुराया।
“थैंक्स…. आप वह फ़ाइल लाए हैं जो मैंने प्रूफ रीड के लिए मंगाई थी?”
“यस सर।” उसके सेक्रेट्री ने फाइल उसके सामने टेबल पर रखी। “यह लीजिए।”
असफन्द ने फाइल उठाई।
“हमम…सब सही है।” काफी देर फाइल चेक करने के बाद वह बोला।
“आप ऐसा करें पहले इसका डाटा कंप्यूटर में फ़ीड करें, फिर सचिन वर्मा से मीटिंग का शेड्यूल प्लान करिएगा।”
“ओके सर।”

सेक्रेट्री के जाते ही कब से उसके चहरे पर छाए नॉर्मल तास्सुरात की जगह अज़ीयत ने ले ली।
उसने कुर्सी से टेक लगाया।
सुबह का मंज़र बार बार ज़हन कि स्क्रीन पर आ कर उसके इज्तेराब को बढ़ा रहा था।
ऐसा नहीं था कि राहेमीन से निकाह के वक़्त उसे अंदाज़ा नहीं था सबके रद्देअमल(reaction) का।
सूरत ए हाल की संगीनी का उसे एहसास था। लेकिन वह पुर उम्मीद था कि मना लेगा सबको।
ऐतराज़ का कोई पहलू ना रहे इसलिए बिजनेस पर फोकस किया। दिन रात मेहनत की।

उसने गर्दन मोड़ कर ग्लास विंडो से नज़र आती मुख्तलिफ डिजाइन की बिल्डिंग्स को देखा।
दिल को कुछ हुआ था।
अगर राहेमीन की वजह से उसका M. Arch. का पेपर ना छूटता, तो उसे वह ताना ना मिलता जो आज उसे मिल रहा था।
सबीहा मीर की अपने लिए नापसंदीदगी से वह पहले ही वाकिफ था।
वजह बचपन में उसकी राहेमीन से बदसलूकी थी।
वह तब ही से उससे बदगुमान रहती थीं।
लेकिन आज उसे एहसास हो रहा था कि नफ़रत करती हैं वह उससे।
उनके रवय्ये पर उसे तकलीफ तो हुई थी लेकिन उससे भी कई गुना ज़्यादा तकलीफ उसे राहेमीन की लाताल्लुकी पर हो रही थी।
वह कब से इतनी संगदिल हो गई थी?
उसे परवाह थी तो सिर्फ अपनी मां की।

आगे का भाग पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करिए।
Hisar e ana chapter 20 part 5
नोट – इस कहानी को चुराने या किसी भी प्रकार से कॉपी करने वाले पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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