Novel Hisar e Ana chapter 20 part 2 by Elif Rose

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“और तुमने यह कैसे सोच लिया कि अपनी बेटी को मैं तुम्हारे so called ऐडवेंचर की नज़र कर दूंगी।”
वह भी चिल्लाते हुए खड़ी हुई थीं।
“कितनी बार कहूं…मेरी मोहब्बत को ऐडवेंचर का नाम मत दें।”
“नाम से क्या होता है? तुम्हारे कहने हकीक़त बदल नहीं जाएगी। दुनिया भरी पड़ी है तुम जैसे लोगों से जो कभी किसी ख्वाहिश के पीछे भागते हैं तो कभी किसी …और फिर एक बार जो ख्वाहिश पूरी हो जाए तो सब भूल जाते हैं। उसके बाद वह किसी दूसरी चीज़ के पीछे भागने लगते हैं।”

“यकीन जानिए, अपने बारे में आपके खयालात जान कर गुस्से से ज़्यादा अफसोस हो रहा है मुझे। और किस बिना पर जज कर रहीं हैं आप मुझे? ग़ैरमुस्तकिल मिजाज़ी सिर्फ कैरियर में दिखी है आपको मेरी। उसी पैमाने में रख कर आप मेरे और राहेमीन के रिश्ते को देख रही हैं या जानबूझ कर देखना ही यही चाहती हैं। असल बात यह है कि आप बचपन की बातों को दिल से लगाए बैठी हैं।”

“तुम्हें जो समझना है समझो, लेकिन तलाक़ तो तुम्हें देनी ही पड़ेगी।”
वह किसी भी तरह राज़ी होने का तय्यार नहीं थी।
उनकी बात पर असफन्द ने रुख सीधा करके सर झुकाए बैठी राहेमीन को देखा फिर ज़ब्त से पूछा।
“तुम तलाक लेना चाहती हो?”
लेकिन वह वैसे ही सर झुकाए बैठी रही अलबत्ता आंसू न जाने कब से बहने शुरू हो गए थे।
“कुछ पूछ रहा हूं मैं?” अबकी झुक कर दोनों हाथ टेबल पर ज़ोर से रख कर पूछा।
राहेमीन हड़बड़ा कर सबीहा मीर को देखने लगी।
“मैं…. ज…जो भी अम्मी चाह…..”
“तुम्हारी अपनी भी कोई मर्ज़ी है?” इस बार वह इतनी ज़ोर से दहाड़ा कि वह दहल सी गई।
इलयास मीर खड़े हुए। “Behave yourself Asfand!”

“नहीं डैड….यहां मेरी दुनिया उजाड़ने कि बात की जा रही है और मैं अपना रवय्या देखूं? अगर मैंने गलत किया है तो आप लोग क्या कर रहे हैं? इतना बुग़ज़ भरा है इनके दिल में मेरे लिए कि एहसास ही नहीं कि क्या कह रही हैं। कैसे यकीन दिलाऊं की खुश रखूंगा मैं राहेमीन को।”
“राहेमीन सिर्फ वहाज के साथ खुश रह सकती है।”
सबीहा मीर ने फिर तीर फेंका।
“अच्छा?….. ऐसा क्या है उस work-holic में?”
“एक कामयाब सर्जन है वह…ज़िम्मेदार इंसान।” फख्र से कहते हुए उन्होंने अपने दोनों हाथ सीने पर बांधे।
“रियली?… ज़रूरी नहीं कि प्रोफेशनली और फाइनेंशियली सेक्योर लोगों की पर्सनल लाइफ खुशहाल हो। लेकिन आपके लिए फिर भी यह चीज़ें मैटर करती हैं तो याद रखिए इस वक़्त मैं भी एक कामयाब बिजनेस मैन हूं।”
ना चाहते हुए भी उसे जताना पड़ा, सिर्फ उन्हें कायल करने के लिए।

“हह….तुम्हारा क्या भरोसा…. पता चला कुछ दिन बाद ऊब कर बिजनेस भी छोड़ दो।” उन्होंने जैसे बात हवा में उड़ाई।
असफन्द होंठ भींचे उन्हें देखता रहा फ़िर बोला तो लहज़ा बहुत सर्द था।
“इतनी बोदी दलीलें बार बार देने से बेहतर है, साफ़ लफ़्ज़ों में कह दें कि आप नफ़रत करती हैं मुझसे और यही वजह आपको हकीक़त क़ुबूल नहीं करने दे रही। एक वजह यह भी है कि आप अपने भांजे की मोहब्बत में अंधी हैं। हम दोनों का ही अपने ज़हन में आपने एक खाका बना रखा है। मेरा मुनफी(negative) और वहाज का मसब्बत (positive)।
इससे आगे ना आप कुछ सुनना चाहती हैं और ना ही समझना। लेकिन मैं आपको बता दूं, आप कुछ भी कर लें, इस रिश्ते को माने या नहीं। मैं राहेमीन को तलाक़ कभी नहीं दूंगा।”

उन्हें आइना दिखा कर वह बग़ैर नाश्ता किए वहां से जाने लगा फिर रुक कर पीछे मुड़ कर नम आंखों से खुद को ही देखती राहेमीन को मुखातिब किया।
“Get out of your shell Mrs. Asfand.”
फिर ऑफिस के लिए निकल गया।

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Hisar e ana chapter 20 part 3
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Hisar e ana chapter 1

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