Novel Hisar e Ana chapter 19 part 4 by Elif Rose free novel in hindi
free novel in hindi
राहेमीन का कालेज फिर से खुल गया था।
घर में फैली बेचैनी से घबराकर उसने कॉलेज जाना शुरू कर दिया।
आज कालेज से थक कर जब वह घर आई तो वैसे ही खामोशी फैली थी जैसी मीर मेंशन में इतने दिनों से फैली हुई थी।
बेडरूम में आकर फ्रेश होने के बाद टेबल से मेडिसिन उठाई।
सर दर्द से फट रहा था।
अभी टेबलेट मुंह में डाल कर पानी पिया ही था कि सबीहा मीर की आवाज़ से चौंकी।
“क्या हुआ तुम्हें?” वह परेशान सी कहते हुए अंदर आई।
“सर….. दर्द कर रहा है।” राहेमीन आहिस्ता से बोली।
इतने दिनों बाद वह मुखातिब कर रहीं थीं उसे।
हलक में कुछ अटकता सा महसूस हुआ।
“अरे…. आओ लेटो मैं सर दबा दूं। तुम भी राहेमीन बहुत लापरवाह हो.…… ज़रूर ठंड लगी होगी तुम्हें।”
वह उसका हाथ पकड़कर बेड की तरफ ले जाने लगीं कि राहेमीन ने उन्हें रोका।
“मुझे माफ़ कर दें अम्मी।”
free novel in hindi
वह रुकीं और खामोशी से उसके ख़ूबसूरत चहरे पर फैली शर्मिंदगी को देखा।
“किस चीज़ की माफ़ी मांग रही हो…..जब तुम्हारी कोई गलती ही नहीं।”
“गलती है अम्मी….यह सब मेरी वजह से हुआ। मैं ज़िम्मेदार हूं इस सब की।” वह नम आंखों के साथ बोली।
सबीहा मीर बेकरार होकर उसके पास बैठी।
“ख़ुद को इल्ज़ाम मत दो मेरी जान। यह सब मेरी लापरवाही की वजह से हुआ है। मैं तुम्हारा खयाल रखने में नाकाम रही। मां बाप को तो औलाद की तरफ से हर वक़्त आंख कान खुले रखने चाहिए, चौकन्ना रहना चाहिए और मैं इतनी लाइल्म रही। दो साल से तुम तकलीफ में हो। तुम्हारी शख्सियत में अचानक दर आने वाली संजीदगी मुझे फिक्रमंद तो करती थी लेकिन इसकी वजह कभी जान ही नहीं पाई मैं। समझना चाहिए था मुझे। इतने दिनों से मैं जो तुम्हारी तरफ रुख नहीं कर रही थी, बात नहीं कर रही थी तो इसकी यही वजह है कि मैं ख़ुद को इस काबिल ही नहीं पा रही थी।”
–
“ऐसे न कहें।” उसने उनका का हाथ थामा।
“मुझे कहने दो राहेमीन। मैं बता नहीं सकती कि मैं कितनी बेसुकून हो गई हूं। यह सोच सोच कर मुझे रातों को नींद नहीं आती कि उस लड़के ने तुम्हारे साथ और भी ना जाने क्या क्या….”
“अम्मी।” राहेमीन ने उन्हें बेसाख्ता टोकते हुए नहीं में सर हिलाया।
शर्मिंदगी सी शर्मिंदगी थी। “ऐसा… कुछ नहीं है।”
सबीहा मीर चौंकी थी।
कुछ ढारस सी बंधी थी।
“सच कह रही हो?”
जवाब में राहेमीन ने सर हिलाते हुए उनके सर से जैसे भारी बोझ उतार दिया था।
उनके अंदर एक उम्मीद जागी थी।
“तुम फिक्र मत करो। मैं तुम्हें इन सारी problems से निकाल लूंगी।”
इतने दिनों बाद वह मुस्कुराईं थी।
आगे का भाग पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करिए।
नोट – इस कहानी को चुराने या किसी भी प्रकार से कॉपी करने वाले पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।
facebook page Elif Rose novels
instagram page @elifrosenovels
0 thoughts on “Novel Hisar e Ana chapter 19 part 4 by Elif Rose free novel in hindi”