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एक बड़े से हॉल, जहां पर ढेरों एम्पलॉइज़ बैठे कंप्यूटर पर काम कर रहे थे, वहां से गुज़रते हुए महक सिकंदर मारथा के बताए गए केबिन के पास जा रही थी जब सामने से आती लड़की से बुरी तरह टकराई।
“Ohh…. sorry.”
“Don’t you have eyes.?” अल्फ़ाज़ से ज़्यादा लहज़ा कड़क था।
महक ने सर उठा कर देखा।
स्टाइलिश व्हाइट घुटनों तक आते पेप्लम ड्रेस पहने, रेड लिपस्टिक लगाए कंधों तक आते ब्लोंड बालों को खोले वह इंतहाई पुरकशिश लड़की थी जो अपनी नीली आंखों से उसे घूर रही थी।
“I’m sorry.” महक ने दोबारा माफी मांगी।
जवाब में इससे पहले कि वह लड़की कुछ कहती महक का मोबाइल रिंग करने लगा।
खुशगवार हैरत के साथ उसने कॉल रिसीव की।
“Assalam o Alaikum uncle.”
दूसरी तरफ अमजद अंकल थे।
“मेरा ऑफिस इतना भी बड़ा नहीं कि आपको यहां तक पहुंचने में इतना टाइम लग जाए।”
उनकी शोख आवाज़ पर वह हल्के से हंसी।
“मैं बस आ ही रही थी।” कहते हुए एक बार “एक्सक्यूज़” वाली निग़ाह से सामने खड़ी लड़की को देख कर वह मुढ़ गई।
स्कारलेट ने उलझन भरी निगाहों से अपने से दूर CEO के केबिन में जाती लड़की की पीठ को देखा था।
“अंकल?” वह बड़बड़ाई थी।
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“May I come in?” उंगलियों से दरवाज़े पर दस्तक देती वह बोली थी।
अमजद दुर्रानी फौरन खड़े हुए।
“Welcome Mahak, don’t be so formal.
वह कंधे पर लटके पर्स की स्ट्रिप् पकड़े आगे बढ़ी।
“Please have a seat.” अमजद ने दाएं हाथ से चेयर की तरफ़ इशारा किया।
“तो कैसा लगा यह ऑफिस?” उसके बैठते ही उन्होंने पूछा था।
महक मुस्कुराई।
“पूरा देखा तो नहीं, लेकिन जितना देखा है, I must say, बहुत खूबसूरत है।”
उसके जवाब में धीरे से हंसते हुए उन्होंने इंटरकॉम पर पियोन(चपरासी) को कॉफी लाने को कहा। फिर उससे घर पर सबका हाल चाल पूछने लगे। इतने में पियोन कॉफ़ी लेकर आ गया था।
“अंकल मैं बहुत नर्वस हूं। I mean, engineering is not my field. पता नहीं कैसे मैनेज करूंगी।”
“आपको परेशान होने की ज़रूरत नहीं है महक। मैंने बताया था आपको सेक्रेट्री की जॉब करनी है। मेरी P.A. की। कुछ काम मैं अभी आपको सिखा देता हूं, कुछ आप वक़्त के साथ सीख जाएंगी।” उन्होंने आराम से कहते उसकी मुश्किल दूर की।
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फिर काफी देर तक वह उसे काम के मुताल्लिक़ समझाते रहे थे।
इसके अलावा जॉब से रिलेटेड एग्रीमेंट पेपर साइन करवाए।
करीब एक-देढ़ घंटे बाद जब वह जाने के लिए उठी थी तब ही अमजद दुर्रानी ने अपने ड्रावर में से चेक बुक निकाली, उस पर कुछ रकम लिखी और सिग्नेचर करके चेक उसकी तरफ बढ़ाया।
“यह तो ले जाइए।” वह चौंक कर मुड़ी और उनके हाथ में पकड़े चेक को उलझन भरी नज़रों से देखा।
“यह क्या है अंकल?”
“आपकी ऐडवांस सैलरी।”
“लेकिन इसकी क्या ज़…..”
“Keep it Mahak.” वह कहते हुए उठकर उसके सामने आए और दोबारा चेक कन्फ्यूज़ खड़ी महक की तरफ़ बढ़ाया।
“It’s normal for employees to take advance salary. Nothing is new in this.”
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हिचकिचाते हुए महक ने चेक पकड़ा लेकिन उसमे लिखी रकम देख कर उसकी आंखें फैली।
“इतना ज़्यादा अमाउंट। अंकल यह मुझ अकेली की सैलरी है यह 3-4 एम्पलॉइज़ की मिला कर?”
“हा हा हा। मेरी कम्पनी के पी ए की सैलरी इतनी ही होती है महक, वजह यह है कि अक्सर उन्हें 24/7 काम करना पड़ता है।”
“But uncle…”
“Stop it Mahak. बहुत से काम हैं। आप आज पहले दिन ही इतना टाइम वेस्ट कर रही हैं।”
उन्होंने हल्की नाराज़गी जताई।
महक ने शर्मिंदगी से सर झुकाया।
“I am sorry.”
“Don’t be. बस जाइए और जल्दी से जो डाटा मैंने कहा है, उसकी फाइल तैयार कीजिए।
वह सर हिला कर दरवाज़े की तरफ़ गई। हैंडल पर हाथ रखते हुए किसी एहसास के तहत उसने दोबारा पीछे मुड़कर अमजद दुर्रानी को देखा।
वह उसे ही देख रहे थे।
उनकी आंखें,
कुछ था उनमें,
क्या,
ना समझते हुए वह केबिन से बाहर चली गई।
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