Novel Hisar e Ana chapter 18 part 5 by Elif Rose free hindi novel

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टहलते हुए अचानक उसे एहसास हुआ कि कोई उसे देख रहा है।
आस पास नज़र दौड़ाते निगाह ऊपर उठी।
अपने बेडरूम की बालकनी में खड़ा व्हाइट टी शर्ट और ब्लैक लोवर पहने रेलिंग पर दोनों हाथ टिकाए वह उसे ही देख रहा था।
ना जाने कब से।
उसकी आंखें…….ना जाने क्या जज़्बा था उनमें।
वह आज तक समझ नहीं पाई थी कि आखिर वह क्यूं उसके पीछे हाथ धो कर पड़ गया है?
दुनिया में उससे भी कहीं ज़्यादा ख़ूबसूरत लड़कियां होंगी, फिर उसकी नज़र उस पर ही क्यों बदल गई?
वह उससे मोहब्बत का दावेदार है लेकिन क्या मोहब्बत करने वाले ऐसा करते हैं?
जो भी था…..
वह जो भी कहता…..
राहेमीन को इसकी परवाह नहीं थी……
परवाह थी तो बस अपने मां बाप की।
सबीहा की नाराज़गी की।
उससे नज़र हटा कर वह अंदर की तरफ बढ़ गई।

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और उसका यूं नज़रें फेरना असफन्द मीर को अज़ीयत से दोचार कर गया।
उसने कर्ब से आंखें बंद की।
वह क्यों नहीं समझती उसे।
हां, उसने उसे ज़बरदस्ती अपनी ज़िन्दगी में शामिल किया लेकिन इसकी वह हज़ार बार वजाहत कर चुका था। बारहा अपनी मोहब्बत का यकीन दिलाने की कोशिश कर चुका था। कितनी ही बार मनाना चाहा उसे लेकिन वह…..उस लड़की का दिल शायद पत्थर का था। लेकिन पत्थर भी तो बार बार ज़र्ब लगने से टूट जाया करते हैं। फिर उसके दिल में क्यों दरार तक नहीं पड़ती?
उसने बेचैनी से सर पर हाथ फेरा।

हिकायत ए दिल
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कभी पढ़ने बैठो
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तो हैरान मत होना
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कि वहां तहरीर है
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किसी की बेरुखी की
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किसी की बेऐतबरी की
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किसी की संगदिली की
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और उस अना की
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जिसके हिसार में
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कैद है कोई।।
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to be continued…..

चैप्टर कैसा लगा, यह मेरे फेसबुक पेज पर बताना मत भूलें।
चैप्टर 19 आने में शायद 5 – 6 दिन लग जाएंगे।
लेकिन अगर इससे पहले आया तो इंशा अल्लाह अपने फेसबुक पेज पैर पोस्ट कर दूंगी।
इसलिए मेरे पेज की पोस्ट चेक करते रहिएगा।
नोट – इस कहानी को चुराने या किसी भी प्रकार से कॉपी करने वाले पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।

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Hisar e ana chapter 1

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