Novel Hisar e Ana chapter 18 part 1 by Elif Rose online reading

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“Guess करो।” महक के लहज़े में दबा दबा सा जोश था।
कुछ सेकेंड सोचने के बाद अली उठ कर बैठा। “I have no idea. तुम बताओ।”
“मुझे जॉब मिल गई है।”
“Really?” वह जी भर कर हैरान हुआ। अभी कल ही तो वह जॉब की बात कर रही थी।
“हां, अमजद अंकल आएं थे आज। मेरे कुछ ज़िक्र करने से पहले ही उन्होंने अपनी कम्पनी में जॉब की ऑफर कर दी। वह कह रहे थे कि उन्हें बहुत दिनों से सेक्रेट्री की ज़रूरत है।” ख़ुशी महक की आवाज़ से झलक रही थी। अली का दिल चाहा वह अभी जा कर उसका ख़ुशी से दमकता चेहरा देखे।

“यह तो बहुत अच्छी बात है। लेकिन तुम रिज़ल्ट तक तो रुक जाती।”
“मैं यह ऑपरच्युनिटी खोना नहीं चाहती अली। फिर पता नहीं रिज़ल्ट कैसा आए? मुझे कुछ ख़ास अच्छी उम्मीद नहीं है।”
“चलो जैसा तुम्हें सही लगे। अन्ने क्या कहती हैं इस बारे में?”
“वह अभी तय्यार नहीं मेरे जॉब करने को लेकर। लेकिन मैं कन्वेंस कर लूंगी उन्हें।”
“Hmmm….best of luck.” अली को कुछ सुकून हुआ।
जितनी आजकल वह परेशान थी, उसे उम्मीद थी कि अब वह काफी रीलैक्स होगी।

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डीसेंट पर्सनैलिटी रखने वाले अमजद अंकल जिनका पूरा नाम अमजद दुर्रानी था, अमजद टेक्नोलॉजी नाम की अपनी कंपनी चला रहे थे। उनका अपनी कैनेडियन बीवी से किसी वजह से तलाक हो चुका था। एक बेटा था जो मां के पास रहता था।
अमजद अंकल की दोस्ती सिकंदर अंकल से कितनी पुरानी थी यह तो अली को नहीं पता था लेकिन वह उन्हें इन गुज़रे सालों में कई बार उनके घर में देख चुका था। सिकंदर अंकल की मौत के बाद जहां वह इस फैमिली की ढारस बना था, वहीं अमजद अंकल भी बराबर उनके घर आते रहे थे।

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सुबह से रात हो गई लेकिन सबको अभी तक हकीक़त तस्लीम(accept) करने में तकलीफ हो रही थी।
असफन्द अभी तक घर नहीं आया था।
राहेमीन खाने की ट्रे लेकर कमरे की दहलीज़ पर रुकी और वहीं से अंदर देखा।
सबीहा मीर बेड पर बैठी टेक लगाए ऊपर की जानिब देखती किसी गहरी सोच में गुम थीं।
आंखों के सूजे पपोटे पता दे रहे थे कि वह बहुत ज़्यादा रो चुकी हैं।
उसने वहां से दाईं तरफ निगाह दौड़ाई तो इलयास मीर खिड़की के सामने खड़े नज़र आए।
बाहर फैले अंधेरे में वह ना जाने क्या देख रहे थे?
उसने एक हाथ से दरवाज़े पर दस्तक दी तो दोनों ने चौंक कर उसे देखा।
राहेमीन ने नज़रें झुका लीं और मुजरिमों की तरह चलती हुई आ कर ट्रे बेड पर रखी।
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Hisar e Ana chapter 18 part 2

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Hisar e ana chapter 1

One thought on “Novel Hisar e Ana chapter 18 part 1 by Elif Rose online reading

  1. Meer usually pyar ku nhi same rahi kuch yesa turn kare ki wo uska pyar samje keep writing ✍ u r good written keep it up

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