novel in hindi
“ओहो हो हो….. What a surprise!” सामने उसके मां बाप और भाई भाभी खड़े थे।
उसका चेहरा ख़ुशी से खिला।
“मेरा अपने बच्चे से मिलने को दिल कर रहा था।” ममा ने आगे बढ़ कर उसके माथे पर प्यार किया।
पापा ने गर्मजोशी से गले लगाया।
“How have you been my son?”
“A one.” उन्हें देख कर वह तरोताज़ा हो गया था।
वह खालिद भाई से मिला तो उन्होंने छेड़ा।
“अंदर भी बुलाओगे या हम यहीं से वापस चले जाएं।”
“हा हा…. अंदर आइए बिग ब्रदर।” उन्हें लेते हुए वह अंदर आया।
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यह पार्टीशन के पहले की बात है।
अली के दादा जहांगीर साहब का ताल्लुक़ इंडिया में लखनऊ और दादी का कराची से था।
वह दोनों आपस में रिश्तेदार थे इसलिए इतनी दूर रहने के बावजूद आना जाना बना रहता था।
जहांगीर पढ़ाई में बहुत अच्छे थे और अपनी आगे की पढ़ाई के लिए Canada जाना चाहते थे।
उनके घर वाले इस पर तय्यार नहीं थे और जब तैयार हुए तो इस शर्त पर कि पहले वह शादी कर लें। (घर वालों को डर था कि विदेश जा कर वह किसी गोरी के चक्कर में ना पड़ जाएं।)
यूं उनकी शादी हुई और वह अपनी बीवी को लेकर Canada चले आए।
घर वालों के बराबर पैसा भेजने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई के साथ साथ पार्ट टाइम जॉब भी करनी शुरू कर दी।
इसी तरह पांच साल गुज़र गए लेकिन इन पांच सालों में बहुत कुछ बदल गया। जहां उनके दो बच्चे हुए, वहीं भारत में पार्टीशन की वजह से हालात बिगड़ गए। उनके मां बाप ने सख़्ती से उन्हें कुछ साल वापस आने को मना कर दिया।
कुछ साल और गुज़रे तो पढ़ाई पूरी होने के बाद जहांगीर साहब को Canada में ही बहुत अच्छी जॉब मिल गई। यूं वह मुस्तकिल तौर पर Canada में ही रहने लगे। हालांकि फिर बाद में वह साल में एक बार मां बाप और सास ससुर से मिलने ज़रूर जाते थे।
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वक़्त गुज़रा और जहांगीर साहब ने अपने दोनों बच्चों आलिया और एवान की शादी यहीं Canada में रहने वाले अपने जानने वालों में कर दी।
बेटी आलिया ने शादी के बाद अपनी मर्ज़ी से पढ़ाई छोड़ दी थी। वहीं बेटे एवान ने बिज़नेस शुरू कर दिया जो धीरे धीरे काफी बढ़ता चला गया।
एवान साहब के तीन बच्चे थे। खालिद, बदर और अली।
खालिद अपना एनजीओ चलाता था। उनकी बीवी सारा वकील थी। बदर पढ़ाई के बाद बाप के साथ बिज़नेस में लग गया था और अली की कुछ दिन पहले ही पढ़ाई पूरी हुई थी।
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ढेर सारी बातों के बाद एवान साहब और खालिद भाई कुछ देर कमरे में आराम करने चले गए।
वह सोफे पर लेटा था और उसके सिरहाने बैठी ममा उंगलियां उसके बालों में चला रही थीं।
“बदर भाई क्यों नहीं आए?” याद आने पर अली ने पूछा।
“आना चाह रहा था वह भी, लेकिन तुम्हारे पापा ने उसे ऑफिस भेज दिया कि कोई तो रहे और हां एक गुड न्यूज़ है तुम्हारे लिए। सोचा था मिल कर ही बताऊंगी।” कुछ याद आने पर वह पुरजोश हुईं।
“कैसी न्यूज़?”
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