Hisar e Ana chapter 10 part 3
Flash back
यह राहेमीन की सालगिरह के दो हफ्ते बाद की बात थी जब उसके दरवाज़े पर दस्तक हुई।
अपनी किताबें किनारे रख कर वह बेड से उठी और फ्रॉक झाड़ते हुए आ कर दरवाज़ा खोला।
लेकिन यह क्या?
कोई नहीं?
वह कंधे उचका कर पलटने लगी कि ठिठकी। नीचे ज़मीन पर कैटी थी जो अपनी पूंछ हिलाते हुए उसे ही देख रही थी।
राहेमीन ने मुंह बना कर वापस मुढ़ना चाहा लेकिन कैटी के गले में लगे पट्टे ने उसकी तवज्जाह खींच ली।
फितरत ए तजस्सुस में वहीं नीचे ज़मीन पर बैठी वह अब यह सोच रही थी कि कैटी को उठाए या नहीं। लेकिन फ़िर उठा लिया और उसके गले में डले पट्टे से लगे उस छोटे से कार्ड को देखा।
Hisar e Ana chapter 10 part 3
“I am sorry!” पीले रंग के कार्ड पर गुलाबी रंग से बहुत खूबसूरती से लिखा गया था। किनारे किनारे गुलाबी रंग से ही नफासत से स्पार्कल सजाया गया था।
वह मुंह खोले उसे देखती रही।
उस दिन की बेइज्ज़ती उसे अब भी याद थी। आंखों में ज़रा देर को नमी आई फ़िर वह मुस्कुरा दी। साफ़ शफ्फाफ मुस्कुराहट।
और ज़रा दूर पिलर के साथ खड़े असफन्द मीर को जैसे एकदम सुकून मिल गया था।
हौसला बढ़ा था और वह चलता हुआ उसका सामने आ खड़ा हुआ।
राहेमीन ने चौंक कर उसे देखा और कैटी को लिए हुए खड़ी हुई।
ब्लैक लोवर पर डार्क ग्रीन टी शर्ट पहने वह सर झुकाए कुछ नर्वस सा खड़ा था।
क्या यह तकदीर का खेल नहीं?
दो हफ़्ते पहले राहेमीन भी ठीक इसी तरह उसकी दहलीज़ पर आई थी।
और अब आज का दिन।
वह चाहे तो उसे धुत्कार कर नामुराद लौटा सकती थी।
दो चोटी बांधे राहेमीन उसे ही देख रही थी जो अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाए कुछ कहना चाह रहा था।
“I……. I am…. sorry!” आख़िरकार कह ही दिया।
राहेमीन को जैसे हैरत का झटका लगा।
असफन्द मीर…… और मुआज़रत?
यह आज क्या हो रहा था ?
—
उस पर अपनी शर्मिंदा नज़रें टिकाए वह मुंतज़िर खड़ा था।
जवाब तो देना ही था।
वैसे भी उसका गिला खत्म हो गया था।
“It’s ok!” आहिस्ता से कहा।
असफन्द ने राहत की सांस ली।
“वह……..” समझ ही नहीं आया कि आगे क्या बोले।
कभी बेतकल्लुफी रही ही नहीं थी उनके बीच।
उसने कैटी को देखा जो राहेमीन की हाथों में बहुत पुरसुकून लग रही थी।
“वह… कैटी के साथ….. खेल सकती हो तुम।” कह कर वह जल्दी से मुड़ गया।
पीछे खड़ी राहेमीन इस काया पलट पर हैरान उसकी पीठ देखती रह गई।
फिर हंसी और हंसती चली गई।
यह मोहब्बत की इब्तिदा थी जिससे वह अनजान था। अब यह देखना था कि यह जज़्बा उसे आगे और क्या क्या करने पर मजबूर करता है।
Hisar e Ana chapter 10 part 3
ऐसा नहीं था कि उसके बाद उनके बीच दोस्ती हो गई थी।
बस यह था कि थोड़ी बहुत रस्मी गुफ्तगू हो जाया करती थी।
वह रोज़ अपनी कैटी को शाम के वक़्त थोड़ी देर के लिए उसको दे आता था। सबीहा से भी हल्की फुल्की बातचीत हो जाती थी।
इलयास मीर ने उसकी तब्दीली पर सुख का सांस लिया था। वह अब भी तन्हाई पसंद था लेकिन अब किसी की मुदाखलत पर नाक भौं नहीं चढ़ाता था।
Flash back end
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वह किचन में जाने के बजाए अपने कमरे में आई थी कि भूख तो पहले ही उड़ चुकी थी।
कमरा अंदर से लॉक करके उसने कब से अपने कंधे पर लटके बैग को उतार कर उसमें से तेज़ी से मोबाइल निकाला था।
उसे ऑन करते ही असफन्द के लातादाद मैसेजेस स्क्रीन पर नमूदार हुए थे जिन्हें हमेशा की तरह नज़र अंदाज़ कर उसने ज़िन्दगी में पहली बार असफन्द मीर का नंबर डायल किया।
आंसू कब आंखों से बह निकले पता ही नहीं चला।
कॉल रिसीव नहीं हो रही थी। लब कुचलते वह बार बार उसका नंबर डायल किए जा रही थी।
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